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शब्दयोग सत्संग
१४ अप्रैल २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
अष्टावक्र गीता, अध्याय १८ से
क्व मोहः क्व च वा विश्वं क्व तद् ध्यानं क्व मुक्तता।
सर्वसंकल्पसीमायां विश्रान्तस्य महात्मनः॥१४॥
जो महात्मा समस्त संकल्पों की सीमा पर विश्राम कर रहा है, उसके लिए अज्ञान कहाँ, विश्व कहाँ, ध्यान कहाँ और मुक्ति भी कहाँ है? ॥१४॥
प्रसंग:
मुक्ति क्या है?
मुक्ति कहाँ है?
अष्टावक्र मुक्ति से भी मुक्ति होने को क्यों बोल रहे है?
जो महात्मा समस्त संकल्पों की सीमा पर विश्राम कर रहा है, उसके लिए अज्ञान कहाँ, विश्व कहाँ, ध्यान कहाँ और मुक्ति भी कहाँ है?